कविता : खोजागिरी मे चाँद मुस्कराया..!!
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🌟 *चंद्रमाकी यह रात*
*हो गयी सुहानी,*
*अंबर मे चांदनी*🌟🌟
*देखो अभी मुस्करायी*
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*निले-निले अंबर मे*🌟🌟
*छायी स्वेत रोशनी*
*चाँदभी मुस्कराने लगा*
*दर्पण मे दूध और पानी*🌟
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*खोजागिरी की यह पौर्णिमा*
*खुशी और सौगात लायी*
*धर्तीपर छाया अनोखा खेल*
*दूध मे भांग की नशा आयी.*
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*कवी :- सुभाष पटनाईक ,कल्याण*
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